Varshphal Vichar
फलित ज्योतिष एक उपयोगी विज्ञान है। ज्योतिर्विद् महर्षियों के दीर्घ अनुभव और शोध के बाद यह प्रकाश में आया है। फलित ज्योतिष का ही एक मूल अंग-जन्मकुण्डली द्वारा शुभाशुभ विवेचन आज विश्व भर में प्रचलित और मान्य है।
कुण्डली द्वारा शुभाशुभ समय की जानकारी के लिए प्रायः दो पद्धतियाँ प्रचलित हैं:
1. विंशोत्तरी दशा-अन्तर्दशा एवं 2. वर्षफल। ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। प्रस्तुत पुस्तक वर्षफल सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी देने के लिए लिखी गई है। इस में वर्षफल सम्बन्धी सम्पूर्ण गणित उदाहरणों एवं वक्तव्यों के साथ समझाने का प्रयत्न किया गया है। पश्चात् वर्षफल के शुभाशुभ का विवेचन दिया गया है। इसके समस्त योग अनुभव, शोध एवं उपयोगिता के आधार पर लिखे गये हैं।
वर्षफल का अपना एक विशिष्ट महत्त्व है। इसमें शुभाशुभ विवेचन की अवधि वर्ष भर मात्र की होती है; अतः यह विशेष सूक्ष्म और उपयोगी माना गया है। प्रायः व्यापारी बन्धु अपना वर्षफल बनवाकर उसी के अनुसार व्यापार सम्बन्धी सूक्ष्म योजनाएँ बनाते हैं। राजकीय नौकरी में नियुक्त हजारों व्यक्ति वर्षफल के आधार पर ही अपने स्थानान्तरण (Transfer) और पदोन्नति (Promotion) की जानकारी चाहते हैं। हमें विश्वास है कि केवल इसी पुस्तक के आधार पर आप विशुद्ध वर्षफल बनाकर स्वास्थ्य, धन, जमीन-जायदाद, पुत्र, व्यापार, विवाह, भाग्य और आय-व्यय आदि से सम्बन्धित बातों की सही-सही जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
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