Uttara Kalamrita by Kalidas Krit
विवाह का समय व कन्या का चुनाव, सपिण्डता, गोत्र प्रवर शुद्धि व उसका अपवाद, सहोदरों का विवाह एक कुल में नहीं, सौतेले माता-पिता व सपिण्डता, देश भेद से सपिण्डता, मामा की लड़की से विवाह निषेध, ऐसा होने पर प्रायश्चित, विवाह के अयोग्य कन्याएं, लड़की के घर पर भोजन निषेध, एक घर में दो सालिग्रामों की पूजा नहीं, पितृ श्राद्ध के साथ माता का श्राद्ध आवश्यक, तीन ज्येष्ठ विचार, बारह प्रकार के पुत्र, दत्तक पुत्र की विधि, श्राद्ध के कुछ विशेष नियप, भूमि व गृह दान के नियम, विधवा व भिक्षु के आचार, दौहित्र के अधिकार उपनयन, संस्कार के विशेष नियम, पुर्नाववाह नियम, श्रावणी व उपनयन, महाशिवरात्रि-एकादशी-जन्माष्टमी-अनन्त चतुर्दशी-ऋषि पंचमी-नरकचतुर्दशी विचार, सूर्य ग्रहण व श्राद्ध, विवाह व श्राद्ध में सूतक होने पर अधिमास का फल, संक्रांतियों की शुभ घड़ियां, भोजन के नियम व मुद्राएं, श्राद्ध में स्थाली पाक, गर्भावस्था में निषिद्ध कार्य, तीर्थों पर विशेष आचार, ऋतु स्नाता स्त्री के लिए विशेष, स्त्रीसंगम-लघुशंका व भोजनोपरान्त शुद्धि, पवित्री धारण, श्राद्ध में गायत्री जप, पिण्डदान के निषिद्ध दिन, द्वादश भावों का विशेष फल, त्रिकोणेश व केन्द्र श के नियम, राहु केतु के विशेष फल, शनि का विशेष फल, केन्द्र श की दशा अशुभ, पाप ग्रह, की दशा भी शुभ, राहु केतु की दशा में महान् सुख, लग्नों के कारक मारक ग्रह-फलादेश के कतिपय विशेष सूत्र, जारज योग, वह्विनिपात योग ।
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