ज्योतिष शास्त्र ने अपने अध्ययन में 9 ग्रहों को मान्यता दी है। इनमें 7 ग्रहों का प्रमुखता से अध्ययन है। राहु, केतु नामक दो छायाग्रहों को गौण रूप से लिया गया है। ये सात प्रमुख ग्रह क्रमशः सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र व शनि हैं। (नए खोजे गए ग्रह-यूरेनस, नेपच्यून, प्लूटो प्राचीन अध्ययन में शामिल नहीं हैं। या तो इसलिए कि इन्हें तब तक खोजा नहीं गया था या फिर इसलिए कि अत्यधिक दूर होने से उनका पड़ने वाला नगण्य प्रभाव अध्ययन के योग्य नहीं समझा गया। दूसरी बात अधिक ठीक है, क्योंकि प्रायः 90 वर्षों, डेढ़ सौ वर्षों और सौ वर्षों में परिक्रमा पूर्ण करने वाले इन ग्रहों के मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन असहज और अव्यावहारिक है। प्रमुख 7 ग्रहों में सबसे शनैः चलने वाला शनैश्चर 30 वर्षों में एक परिक्रमा पूर्ण करता है। अतः मनुष्य के जीवन (प्रायः 100 वर्ष) में अपनी 3 परिक्रमाएं पूर्ण कर लेता है। जाहिर है, विभिन्न राशियों में पड़ने वाले उसके प्रभाव के सत्यापन के लिए एक ही मनुष्य के जीवन में कम से कम 2 अवसर और मिल जाते हैं, जिससे किसी प्रकार के संदेह, अनिश्चितता की संभावना नहीं रह जाती। किंतु जो ग्रह डेढ़ सौ तथा दो सौ वर्षों में (लगभग) एक परिक्रमा पूर्ण करते हैं
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