वास्तुशास्त्र प्रसन्न और संतुष्ट दीर्घ जीवन जीने की कला और विज्ञान है। आजकल तेज भागती प्रौद्योगिकी के युग में रहन-सहन की गलत जीवन शैली के कारण बहुत सी बीमारियां पैदा हो रही हैं। वास्तु के शास्त्रीय ग्रंथों में प्राचीन जीवन शैली का वर्णन मिलता है, जिसमें आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुसार परिवर्तन होने चाहिए।
पुस्तुत पुस्तक ‘रहस्यावरण से मुक्ति, वास्तुः जीने की कला और विज्ञान’ वास्तुसम्मत रहन सहन की प्राचीन पद्वति और गृह निर्माण व वास्तु-कला की आधुनिक प्रौद्योगिकी का सुबोध सम्मिश्रण है। वास्तुशास्त्र की तकनीकों और विधियों के मानकीकृत और व्यवस्थित रूप का पूर्ण परिचय इस पुस्तक में मिलता है।
पुस्तक तीन खंडों में विभाजित है। प्रथम खंड वास्तु की उन मूल अवधारणाओं, सिद्धांतों और शक्तियों की गहरी समझ के प्रति समर्पित है, जो किसी स्थान विशेष को प्रभावित करती हैं। पुस्तक का दूसरा खंड रहस्योद्घाटन करता है कि किस प्रकार हम इस धरा पर, अपने घर में ही, स्वर्ग का निर्माण कर सकते हैं। इससे पता चलता है कि किस प्रकार हम घर की बाहरी शांति की स्थापना द्वारा मन की आंतरिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। तृतीय खंड वास्तु के नित्यप्रति उपयोग से संबंधित है। एक अलग अध्याय में कार्यस्थल वास्तु की भी विस्तृत चर्चा की गई है, जो कई दृष्टियों से, रिहायशी वास्तु से अलग है।
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