अंक ज्योतिष में प्रश्न-विचार वैदिक ज्योतिष में प्रश्न विचार एक पर्याप्त जटिल विषय है जबकि अंक शास्त्र में केरलीय पद्धति से कठिन प्रश्नों का आसानी से उत्तर दिया जा सकता है। इस संपूर्ण विधि का विस्तृत ज्ञान जानिए इस लेख से। अंक ज्योतिष से प्रश्न विचार की जो पद्धति यहां दी जा रही है, वह विशेषतः केरल में प्रचलित रही है।
इस पद्धति को ‘केरलीय पद्धति’ के नाम से जाना जाता है। इस पद्धति में प्रश्नकर्त्ता यदि ब्राह्मण वर्ग से है तो उससे किसी फूल का नाम, क्षत्रिय हो तो, किसी नदी का नाम, वैश्य हो, तो किसी देवी-देवता का नाम और यदि शूद्र (या पिछड़ा वर्ग) वर्ण का हो, तो किसी फल का नाम सोचकर बताने को कहा जाता है।
इस ग्रन्थ के आदि में मंगलाचरण करते हैं। केरल अंक ज्योतिष को भली प्रकार से जानने के बाद ही इस ग्रन्थ को जनता के सन्मुख लाया गया है, कैसा सुन्दर वर्ण है, स्वल्प छन्द है, फेर कैसा है, राजा और पण्डितों की सभी में शोभायमान है। मिथ्या पण्डिताभिमानी श्वेताम्बर नामक बौद्धों ने तो यद्धपि बहुत से प्रबंध लिखे हैं|
परन्तु उतना रम्य नहीं है जितना होना चाहिए, छन्दो व्याकरणादि दोषों से भरे हैं। इसलिए संक्षेप में इस ग्रन्थ में विवरण दिया गया है। केरल रहस्य वह तत्व है जो श्रुति तत्व है जो बौद्धादिक और यवनादिक को नहीं दिया जाता है। इस रहस्य तत्व को दुर्वीनित और नास्तिक को या जो वेद देवता और ब्राह्मण की निन्दा करे उसको और खल को प्रकाश नहीं करना होता है |
इसको गुप्त रखना होता है। गुरु भक्तों और देवता ब्राह्मण के पूजक को, ब्रह्म ज्ञानी, नारायण और अक्षर ब्रह्मा के जानकार और वेद के जानकार, ऐसे द्विजपुंगव को प्रश्न देने से पण्डित वांछित धर्म अर्थ को प्राप्त होता है। बार-बार प्रश्न नहीं करना, सभा के बीच में प्रश्न नहीं करना, कुत्सित भूमि में प्रश्न न करना |
Reviews
There are no reviews yet.