सुबोधिनी-वस्तु है या नहीं है के विषय में कहते है कि यदि प्रश्नकर्ता का प्रश्न ध्वज, गज, सिंह तथा वृष आय में हो तो अवश्य ही वस्तु की प्राप्ति होती है, परन्तु ध्वांक्ष, श्वान, गर्दभ तथा धूम्र आय में प्रश्न होने के कारण वस्तु की प्राप्ति नहीं होती है; वल्कि कलह होता है ॥७॥
लाभालाभ प्रश्न
ध्वजे गजे वृषे सिंहे शीघ्रलाभो भवेद् ध्रुवम् । ध्यांक्षे श्वाने खरे धूम्रे नाशश्च कलहप्रदः ॥८॥
अन्वयः- ध्वजे, गजे, वृष, सिंहे, ध्रुवम् शीघ्रलाभः भवेत्, ध्वांक्षे श्वाने खरे धूम्रे नाशश्च कलहप्रदः भवेत् ॥८॥
शब्दार्थः ध्वजे गजे वृषे सिंहे ध्वज-गज-वृष-सिंह आय में, ध्रुवम् = निश्चय, शीघ्रलाभः भवेत् शीघ्र लाभ होता है। ध्वांक्षे श्वाने खरे धूम्र ध्वांक्ष-श्वान-गर्दभ-धूम्र में, नाशश्च नाश और कलहप्रदः = कलहकारक होता है ।॥८॥
व्याख्या- श्लोकेऽस्मिन् लाभालाभविषयम्प्रत्युच्यते यत् प्रश्नकर्तायाः प्रश्नः ध्वजे गजे वृषे सिंहे ध्वज-गज-वृष-सिंहायेषु भवेत् तदा ध्रुवम् नूनं शीघ्रलाभो भवेत् परन्तु ध्वांक्षे श्वाने खरे धूम्रे ध्वांक्ष-श्वान-गर्दभ-धूम्रायेषु यदि प्रश्नः भवेत् तदा वस्तुनो नाशनमाप्नोति तथा कलहप्रदः = व्लहकारिणो भवेत् ॥८॥
सुबोधिनी-लाभालाभ के विषय में बताते हैं कि यदि प्रश्नकर्ता का प्रश्न ध्वज-गज-वृष-सिंह आय में हो तो अवश्य ही शीघ्र लाभ होता है, लेकिन ध्वांक्ष, श्वान, गर्दभ तथा धूम्र में प्रश्न होने के कारण वस्तु का नाश होता है तथा वह कलहकारिणी होती है ॥८॥
नष्ट वस्तु लाभालाभ प्रश्न
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