व्यापार करने वाले लोगों के सामने व्यापार न चलने की समस्या आए दिन आती रहती है। उनका केवल एक ही उद्देश्य होता है कि व्यापार-व्यवसाय में आशातीत उन्नति हो। किंतु व्यवसाय चलाने तथा धनलाभ प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि कठिन परिश्रम किया जाए ?
परिश्रम के साथ-साथ प्रत्येक व्यवसाय में ईमानदारी भी बहुत आवश्यक है। किंतु व्यक्ति यह सोचता है कि अगर ईमानदारी बरतने लगे तो भूखों मरना होगा। बेईमानी करने से धन की प्राप्ति शीघ्र होती है। उसका ऐसा सोचना एकदम गलत है। ईमानदारी का फल मिलता अवश्य है, चाहे वह देर से ही क्यों न मिले। वैसे भी कड़ा परिश्रम आज कोई करना ही नहीं चाहता।
आज देश में दिनोदिन महंगाई बढ़ रही है। यदि जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आगामी दस वर्षों में भारी दुखद स्थिति आ सकती है और महंगाई की समस्या तब और भी जटिल हो सकती है। अतः यह भी आवश्यक है कि व्यापार आदि सुगमतापूर्वक चलता रहे।
इसके अतिरिक्त आज हर कोई सीमित आय वाली नौकरी की अपेक्षा कोई न कोई कारोबार-व्यवसाय करना चाहता है। यह एक सच्चाई भी है कि कारोबार में व्यक्ति को उत्थान के अनेक सुअवसर प्राप्त होते हैं। किसी की परतंत्रता भी नहीं सहनी पड़ती।
कई अवसरों पर देखा गया है कि लाखों रुपये लगाकर खोला गया कोई भी कारोबार ठीक से नहीं चल पाता। अंततः विवश होकर उसे बंद कर देना पड़ता है। यहां पर कुछ ऐसे प्रभावशाली टोटके दिए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर दुकान, फैक्ट्री या अन्य किसी भी व्यापार-व्यवसाय में मनोनुकूल प्रगति की जा सकती है।
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