गत शताब्दी में प्रकाशित “बृहत् पराशर होरा”नाम से चार ग्रन्थ है . जिनमे सर्वप्रथम बृहत् पाराशर होरा सारांश है l इस ग्रन्थ के तृतीय संस्करण (1933 में प्रकाशित ) के अद्ध्याय 36 tatha 37 में लगभग 100 शलोको में विमशोत्तरी दशा , अंतर दशा के नियम दिए हैं. इस पुस्तक का मूल स्रोत यही श्लोक हैं . अन्य ग्रंथो में इस मत की पुष्टि करने वाले श्लोकों का सारांश भी दिया गया हैं . इसके अतिरिक्त विमशोत्तरी दशा के भेद , दशा फल के नाम , फल , दशा फल की कारण 18 स्थितियां , भाव , भावेश तथा करक के नाते दशा फल नियम , दशा , अंतर दशा नियम , दशा फल को सूक्ष्मता प्रदान करने वाले वर्गों के गोचर फल का वर्णन हैं .
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