आज पूरे विश्व में स्वास्थ्य के निमित्त अपार धन खर्च किया जा रहा है। लेकिन ज्यों-ज्यों बीमारियों की रोकथाम के लिये शोध हो रहा है, त्यों-त्यों नई बीमारियाँ भी पैदा होती जा रही हैं। तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या एवं मंहगाई के इस युग में इस लक्ष्य को हासिल कर पाना असम्भव-सा लगता है।
इन कठिन परिस्थितियों और पेचीदा हालातों में स्वास्थ्य समस्या का नये सिरे से विश्लेषण जरूरी है। इस के लिये समस्या की जड़ तक- उतरना होगा। मूल रूप से हर बीमारी दूषित खान-पान, वातावरण और विचारों से जुड़ी है। यदि इन कारणों पर विजय पाई जा सके या नियन्त्रण किया जा सके तो बीमारियों की सम्भावना नगण्य रह जायेगी।
निस्संदेह योगाभ्यास इस सारे परिपेक्ष्य में एक आशा की किरण है। योग का आधार वैज्ञानिक और स्वरूप कलात्मक है। विज्ञान और कला का समन्वय ही सम्पूर्ण जीवन को जीने की प्रेरणा बन पाता है।
योग की जो अनुपम सम्पति हमारे पूर्वजों के पास थी, वह ठीक प्रकार से हमे मिल नहीं पाई। विदेशों में जिस रूचि एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से योग को समझा और समझाया जा रहा है, वह शायद हमारे देश में अभी शुरू ही नहीं हुआ।
Reviews
There are no reviews yet.