Vedic Upchariya Jyotish
Publication: Alpha Publication
वैदिककाल में ऋषियों की मान्यता थी कि यदि महत्त्वपूर्ण कार्य प्रारम्भ करते समय ग्रह अनुकूल हों तो उक्त कार्य की सफलता की संभावना अधिक रहती है । इस वैदिक अवधारणा ने ही मुहूर्त ज्योतिष का को जन्म दिया । सच पूछें तो मुहूर्त–ज्योतिष, हिन्दू कर्मकाण्ड तथा मेलापक विधि ही वैदिक उपचारीय ज्योतिष है । वर्तमान पुस्तक का वैदिक उपचारीय ज्योतिषनाम इसी हेतु दिया गया है । इस पुस्तक में कुल ग्यारह अध्याय हैं ।
प्रथम अध्याय में, विषय–वस्तु का परिचय दिया गया है । द्वितीय अध्याय में, वेदांगज्योतिष में तीस प्रकार के वैदिक मुहूर्तों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया है । तृतीय अध्याय में, वैदिक कारणों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया है । चतुर्थ अध्याय में, तिथियों की उपयोगिता पर तथा पंचम अध्याय में, नक्षत्रों और ताराओं की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया है । षष्ठ अध्याय में योगों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया है ।
सप्तम अध्याय में, मुहूर्त के सामान्य प्रचलित नियम बताये गये हैं । अष्टम अध्याय में, नारदीय ज्योतिष के अनुसार, मुहूर्तादि का विवेचन प्रस्तुत किया गया है ।
नवम अध्याय में, 44 प्रकार के विशिष्ट मुहूर्तों की चर्चा की गयी है, जिनमें प्रथम आठ कर्मकाण्ड के हैं और शेष जीवन के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों से जुड़े हैं ।
दशम अध्याय में, वर–कन्या के विवाह के पूर्व प्रचलित मेलापक–विधि के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। एकादश अध्याय विविधावली इस पुस्तक को सुन्दर ढंग से प्रकाशित करने हेतु अस्का पब्लिकेशन धन्यवाद के पात्र हैं । यह पुस्तक मेरे पुत्र उत्पल तथा पुत्रवधू विनीता को भेंट है ।
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