Vaastu Sarvasva
महापीठ पद-विन्यास में 16 कोष्टक या पद होते हैं। इन 16 कोष्ठको में 25 देवता स्थापित होते हैं ये 25 वे देवतागण हैं जिन्होंने वास्तु पुरुष को गिराने में सहायता की थी तथा उसके ऊपर चढ़ कर बैठ गए थे। इन देवताओं के नाम इस प्रकार हैं-ईशान कोण में दो कोष्ठकों में अदिति एवं ईश, पूर्व में दो कोष्ठकों में जयंत और आदित्य, आग्नेय कोण में भृश व अग्नि, दक्षिण के दो कोष्ठकों में वितथ एवं यम, नैऋत्य कोण के कोष्ठक में पितृ एवं भृंगराज, पश्चिम के दो कोष्टकों में सुग्रीव एवं वरुण तथा वायव्य के कोष्ठक में मारुत एवं शोष, मध्य के एक बड़े कोष्ठक में ब्रह्मा तथा शेष कोष्ठकों में रुद्रराज, भूधर, आपवत्स, आर्य, सावित्र, विवस्वन्त, इन्द्र तथा मित्र। इस प्रकार ये 25 देवता इस वास्तु मण्डल में रहते हैं।
मानसार में इस पद विन्यास को दो अन्य प्रकार से बनाने का उल्लेख है। इनमें वही 25 देवता हैं जो मयमत में बताए गए हैं। वास्तव में देखा जाए तो मयमत मानसार के बाद का ग्रन्थ है तथा इसका आधार ग्रन्थ मानसार ही है। यहाँ पर हम इस पद विन्यास के दो चित्र दे रहे हैं जिनमें एक मानसार पर आधारित है तथा दूसरा मयमत पर आधारित है। इनमें से आप कोई भी एक चुन सकते हैं। यह पद विन्यास देवालय के प्रथम मण्डप निर्माण के अवसर पर पूजा जाता है।
Reviews
There are no reviews yet.