उपचारीय ज्योतिष” की श्रृंखला में आदरणीय पाठकजी की प्रथम पुस्तक “उपचारीय ज्योतिष कौमुदी” का पाठकों ने जो व्यापक स्वागत किया है उससे उत्साहित होकर आज हम उनकी द्वितीय पुस्तक “उपचारीय ज्योतिष के विविध आयाम” प्रस्तुत करने जा रहे हैं। वैसे यह पुस्तक नये पाठकों के लिये भी कम उपयोगी नहीं है किन्तु जिन पाठकों ने लेखक की आधार पुस्तक “उपचारीय ज्योतिष कौमुदी” का अधययन तथा मनन कर लिया है वे वर्तमान पुस्तक का अधययन तथा मनन करके विशेष रूप से लाभान्वित हो सकते हैं। वस्तुतः वर्तमान पुस्तक उपचारीय ज्योतिष के महत्वपूर्ण अंगों पर गहन तथा विस्तृत अधययन (Advanced Study) है। “उपचारीय ज्योतिष के विविध आयाम” के बारह अधयायों में प्रथम दो अधयाय छोड़कर शेष दसों अधयाय में कुंडली से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं के निराकरण हेतु विस्तार से उपाय बताये गये हैं। तृतीय अधयाय में भाग्यशाली रत्नों के चुनाव की विधि पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। चतुर्थ अधयाय में विशेष योग जनित समस्याओं को दूर करने के विविध उपाय बताये गये हैं। पंचम अधयाय में आर्थिक समस्याओं तथा षष्ठ अधयाय में व्यावसायिक समस्याओं का सविस्तार निराकरण प्रस्तुत है। सप्तम अधयाय में दाम्पत्य सुख सम्बंधी बाधाओं तथा अष्टम अधयाय में विद्या-बुद्धि सम्बन्धी बाधाओं का सविस्तार निराकरण प्रस्तुत है। नवम अधयाय में अवरूद्ध धन की प्राप्ति हेतु विशेष उपचार बताये गये हैं। दशम अधयाय में संकट तथा बन्धनादि से मुक्ति के उपाय बताये गये हैं। एकादश अधयाय में रोगोपचार पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। द्वादश अधयाय में “प्रश्न मार्ग” में चर्चित उपचार विधि पर प्रकाश डाला गया है। प्रथम अधयाय में उपचारीय ज्योतिष के दर्शन पर तथा तृतीय अधयाय में उसके उद्भव तथा विकास पर प्रकाश डाला गया है जो कम महत्वपूर्ण नहीं है।
लेखक के बारे में
इस पुस्तक के लेखक के. के. पाठक गत पैंतीस वर्षों से ज्योतिष जगत में एक प्रतिष्ठित लेखक के रूप में चर्चित रहे हैं। ऐस्ट्रोलॉजिकल मैगज़ीन, टाइम्स ऑफ ऐस्ट्रोलॉजी, बाबाजी तथा एक्सप्रेस स्टार टेलर जैसी पत्रिकाओं के नियमित पाठकों को विद्वान् लेखक का परिचय देने की आवश्यकता भी नहीं है क्योंकि इन पत्रिकाओं के लगभग चार सौ अंकों में कुल मिलाकर इनके लेख प्रकाशित हो चुके हैं। निष्काम पीठ प्रकाशन, हौजखास नई दिल्ली द्वारा अभी तक इनकी एक दर्जन शोध पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी शेष पुस्तकों को बड़े पैमाने पर प्रकाशित करने का उत्तरदायित्व “एल्फा पब्लिकेशन” ने लिया है। ताकि पाठकों की सेवा हो सके। आदरणीय पाठकजी बिहार राज्य के सिवान जिले के हुसैनगंज प्रखण्ड के ग्राम पंचायत सहुली के प्रसादीपुर टोला के निवासी हैं। यह आर्यभट्ट तथा वाराहमिहिर की परम्परा के शाकद्विपीय ब्राह्मणकुल में उत्पन्न हुए। इनका गोत्र शांडिल्य तथा पुर गौरांग पठखौलियार है। पाठकजी बिहार प्रशासनिक सेवा में तैंतीस वर्षों तक कार्यरत रहने के पश्चात सन् 1993 ई० में सरकार के विशेष-सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए। “इंडियन कौंसिल ऑफ ऐस्ट्रोलॉजिकल साईन्सेज” द्वारा सन् 1998 ई० में आदरणीय पाठकजी को “ज्योतिष भानु” की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। सन् 1999 ई० में पाठकजी को “आर. संथानम अवार्ड” भी प्रदान किया गया। ऐस्ट्रो-मेट्रीओलॉजी उपचारीय ज्योतिष, हिन्दू-दशा-पद्धति, यवन जातक तथा शास्त्रीय ज्योतिष के विशेषज्ञ के रूप में पाठकजी को मान्यता प्राप्त है। हम उनके स्वास्थ्य तथा दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं।
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