Trik Bhav Vichar
Publication: Alpha Publication
भारतीय संस्कृति में ‘ त्रि ‘ या तीन का विशेष महत्व है यहाँ ईश्वर के तीन रूप या तीन प्रमुख देवताओ के रूप में पहचान की गई है सृष्टि के लिए ब्रह्मा, स्थिति और विकास के लिए विष्णु तो संहार या विनाश के लिए भगवान् शिव को जिम्मेदार माना है त्रिक का अर्थ है तीन सुख, न जाने कब और कैसे ये भाव दुःख भाव बन गए|
पहले षष्ठ भाव की चर्चा करे कुण्डली के प्रथम पाँच भाव क्रमश: (१) देह, आत्मा, आत्मबल व् देह सुख (२) कुटुम्ब, वाणी, संचित धन व् कुटुम्ब से मिला स्नेह व् सम्मान (३) बल प्रताप, साहस, शौर्य, परिश्रम, पराक्रम व् कार्य कुशलता, ( ४) माता, मन, घर- परिवार व् वाहन सुख या सभी प्रकार का सुख, ( ५) बुद्धि, विधा, मित्र, मनोरंजन व् संतान सुख के भाव है|
षष्ठ भाव कदाचित परीक्षा या निरीक्षण – परीक्षण का भाव है जातक का देह बल, मानसिक स्थिरता, सूझ- बुझ व् कार्य कुशलता कितनी परिपक्क हुई है – इसका ज्ञान कराने के लिए षष्ठ भाव है|
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