कृष्ण वर्ण शनि जब अपने कोप की कालिमा से किसी को ग्रसता है, तो लगता है मानो दुखों, विपदाओं व अनन्त असफलताओं की शृंखला ने बुरी तरह जकड़ लिया हो। आम व्यक्ति इसकी अर्चना-उपासना तभी करता है, जब वह दुखी और निराश हो जाता है। शनि का प्रकोप समाप्त होकर उनका अनुग्रह कैसे बरसे, इन सभी की विस्तृत विवेचना को प्रस्तुत पुस्तक में समाहित की गई है।.
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