1. आदरणीय ज्योतिष गुरु श्री के एन राव सर का बहुत बहुत आभार जिनके मार्गदर्शन में ज्योतिष सीखा, ज्योतिष आचार्य बनने के बाद करीब 12 वर्षों तक कई विषयों पर रिसर्च किया। उनके मार्गदर्शन में जाना की ज्योतिष में गणित कितना महत्व रखता है। उन्होंने हमेशा इस बात पर बल दिया कि बिना गणित के ज्ञान के फलित की गहराइओ को समझना आसान नहीं इससे प्रेरित होकर षडबल के ऊपर कार्य करना शुरू किया, क्योंकि अभी तक फलित के लिए षडबल का प्रयोग न के बराबर है। पडबल का प्रयोग करने से पहले जरूरी है की आसान तरीकों से इनकी गणना करनी आ जाए।
2 श्री दीपक कपूर जी की पुस्तक “खगोल एवं गणित ज्योतिष” जिनका संदर्भ लिया गया है।
3. श्री बेंगलोर वेंकट रमन जी की पुस्तक “ग्रह और भाव बल” जिनका संदर्भ लिया गया है।
4.श्री विमल प्रसाद जैन जी की पुस्तक “ज्योतिषीय गणित एवं खगोल शास्त्र” जिनका संदर्भ लिया गया है।
5. श्री सी बी प्रसाद जी, श्री करनाल सिंह जी, श्री मनोज कौशिक जी तथा श्री रवि पँवार जी का जो भारतीय विद्या भवन मे षडबल भी पढ़ाते हैं, जिनसे समय- समय पर बारीकिओं पर चर्चा की गई।
6. श्री अनिल सिंह जी, प्राध्यापक भारतीय विद्या भवन का विशेष आभार, जिन्होंने स्वेक्षा से षडबल पर एक पुस्तक लिखने का सुझाव दिया।
7. वाणी पब्लिकेशन्स का, जिन्होंने पुस्तक की छपाई जल्दी से की और विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाने में मदद की।
8.अपने परिवार के सदस्यों का, जिनके बहुमूल्य हयोग के बिना पुस्तक लिखा जाना संभव नहीं था।
9. माँ सरस्वती का, जिनके आर्शीवाद के बिना पठन-पाठन-लेखन बिल्कुल भी संभव नहीं।
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