भारतकी भूमि रत्नगर्भा कही जाती है, वास्तवमें यह उपाधि सत्त्व- शून्य नहीं है । अवश्यही इसके सुविशाल गर्भमें अनन्त रत्नराशि संस्थापित हैं किन्तु रत्न कहाने से हीरा-लाल-पन्ना आदि मूल्यवान् कंकर पत्थर ही केवल रत्न मान लिये जाँय सो बात यहां नहीं है । ऐसे पत्थर रत्न तो अन्यत्र भी उपलब्ध हो सकते हैं परन्तु भारत भूमि के पवित्र गर्भमें ‘नवरत्न, नररत्न, नारीरत्न, विद्यारत्न, वस्तुरत्न और ग्रन्थ रत्नादि’ अमूल्य और बहुमूल्य विविध रत्न वह भरे हुए हैं, जिनकी अन्यत्र उपलब्धि असाध्य ही नहीं, असम्भव भी है यहां के किसी एक रत्नको उठाकर अवलोकन कीजिये-एक एक रत्नमें अनेकानेक सद्गुण प्रतीत होते हैं
Reviews
There are no reviews yet.