ज्योतिष शास्त्र के अधिकांश ग्रन्थ संस्कृत में ही हैं। लेकिन संस्कृत से अनभिज्ञ लोगों के लिए इस माध्यम से विषय का अध्ययन करना कठिन है। इसलिए हिंदी में एक ऐसी पुस्तक की आवश्यकता थी जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति आसानी से ज्योतिष का अध्ययन कर सके।
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर प्रस्तुत पुस्तक सात खण्डों में प्रकाशित की गयी है। ये सात खंड हैं प्रारंभिक ज्ञान, गणित, फल, वर्ष-फल, प्रश्न, शुभ मुहुर्त और संहिता खंड।
प्रारंभिक ज्ञान खंड: इस खंड के अध्ययन से ज्योतिष संबंधी कई बातें समझ में आती हैं, जैसे यदि किसी का जन्म, संवत, मास, पक्ष, दिन, समय आदि मालूम न हो तो देखने मात्र से सारी बातें समझ में आ जाती हैं। कुंडली चक्र पर. बताया जा सकता है. बिना पंचांग के तिथि, नक्षत्र, करण, वार, सूर्य, चन्द्र आदि स्पष्ट बताये जा सकते हैं। इस भाग का अध्ययन करके ही संक्षिप्त जन्म कुंडली बनाई जा सकती है। अंत में परिणामों से संबंधित मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में बताया गया है।
गणित अनुभाग: इसके दो भाग हैं। इसमें संपूर्ण जन्म कुंडली बनाने की विधि है। संपूर्ण गणित प्रक्रिया प्रत्येक गणित को करने की एक उदाहरण विधि देकर दी गई है।
फलित खंड: पहला भाग – इसमें संबंधित बातें दी गई हैं और कुंडलियों से उदाहरण देकर महापुरुषों के बारे में बताया गया है।
दूसरा भाग- इसमें ग्रह दृष्टि, योग, वर्ग, स्थान आदि आवश्यक विषयों पर सूक्ष्म चर्चा की गई है।
तृतीय भाग- इसमें माता-पिता के संबंधों पर ग्रहों के प्रभाव का ज्ञान प्राप्त करने के लिए विस्तृत दशा-विचार सहित भाग्य, धर्म, यश, विद्या, बुद्धि, सुख, दुःख आदि विषयों पर विचार व्यक्त किये गये हैं। भाई-बहन आदि। इसके लिए इस पुस्तक की उपयोगिता अद्वितीय है।















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