पिछले कुछ दशकों से लोगों का रुझान रोगमुक्त अच्छे स्वास्थ्य के प्रति बहुत बढ़ गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, “स्वास्थ्य एक संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कुशलता की स्थिति है और केवल रोग और अशक्तता से मुक्ति नहीं।” “स्वास्थ्य” शब्द दो शब्दांश-स्व और स्थित, से मिल कर बना है। जब कोई व्यक्ति का स्व (आत्मा) अपने में स्थित होती है तो वह स्वस्थ होता है। आयुर्वेद के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मानसिक और आत्मिक अवस्था एक साथ सशक्त व प्रसन्न स्थिति में हो तभी उसे स्वस्थ कहा जा सकता है। सत्य ही कहा है “पहला सुख निरोगी काया”। अंग्रेज़ी भाषा में “Disease (रोग)” शब्द भी दो शब्दांश- Disease, से मिलकर बना है जिसका अर्थ है “चैन/ आराम का निकास”। आजकल हम सभी जीवन में अच्छे स्वास्थ्य और तेजस्विता के प्रति चिंतित हैं। चिकित्सीय ज्योतिष अथवा रोग और स्वास्थ्य ज्योतिष की एक बहुत महत्वपूर्ण शाखा है जिसे हमारे पुरातन ऋषिओं ने हज़ारों वर्षों के अनुभव के बाद वैदिक ज्योतिष और चिकित्सीय / सुधारात्मक उपायों को मिलाकर बनाया है। ज्योतिष को चिकित्सीय उद्देश्य के लिए अनंतकाल से प्रयोग किया जाता रहा है।
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