ज्योतिष का उद्देश्य आकाशीय ग्रहों एवं नक्षत्रों आदि के माध्यम से भूत, वर्तमान एवं भविष्य तीनों आयामों के विषय में जानकारी प्राप्त करना है। ज्योतिष संसार के सुख-दुःख, जीवन-मरण एवं ब्रह्माण्ड के अंधकाराच्छन जैसे विषयों पर प्रकाश डालकर उन्हें उजागर करने की क्षमता रखता है। ज्योतिष की उत्पत्ति कब हुई इस विषय में स्पष्ट रूप से कुछ भी कहना संभव नहीं है। किन्तु इसकी प्राचीनता इस बात से सिद्ध होती है कि ज्योतिष सबसे प्राचीन ग्रंथ वेद के छह अंगों में एक है। इन छ अंगों में ज्योतिष इतना महत्त्वपूर्ण है कि इसे वेदों के चक्षु की संज्ञा दी गई है तथा कहा गया है-ज्योतिषं वेदानां चक्षुः।
हमारा आकाश अनन्तम कोटि तेज पुंज (तारों) से भरा पड़ा है। इनमें से कुछेक तो सूर्य से अधिक चमकने वाले तथा उसेस कई गुणा अधिक विशालकाय तारागण हैं, जिनकी दूरी इतनी अधिक है कि उनकी प्रकाश किरणों को पृथ्वी तक पहुँचने में सैकड़ों वर्ष तक जग जाते हैं जबकि प्रकाश की गति लगभग 3 लाख कि.मी. प्रति सैंकण्ड है।
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