ज्योतिष का विषय विशाल है, इसका शाब्दिक अर्थ है- अंतरिक्षीय बोधगम्य प्रकाश। सौरमण्डल के ग्रह और नक्षत्र पृथ्वी पर किस प्रकार प्रभाव डालते हैं, यह विचार ज्योतिष के अन्तर्गत किया जाता है। पृथ्वी पर कब, किस ग्रह, नक्षत्र का कितना प्रभाव पड़ेगा, कब कौनसा ग्रह कितनी दूरी पर किस स्थिति में रहकर अपने प्रभाव से अन्न, जलवायु, वनस्पति और प्राणी जगत पर अपना प्रभाव डालेगा, इस विषय की जानकारी ज्योतिष शास्त्र के द्वारा देखी जाती है। पृथ्वी पर होने वाले ऋतु परिवर्तन, वर्षा, अकाल, भूकम्प, महामारी, तूफान और अन्य प्राकृतिक परिवर्तन ज्योतिष शास्त्र में विचारणीय होते हैं, क्योंकि यह सूर्य और अन्य ग्रहों के द्वारा प्रभावित होते हैं।
सौर परिवार में ग्रह सूर्य के साथ एक आकर्षण बल में बंधे हैं। इनका प्रभाव पृथ्वी पर सजीव और निर्जीव दोनों पर होता है, क्योंकि पृथ्वी भी सौर परिवार का एक ग्रह है। जब किसी जीव या जातक का जन्म होता है, तो वह अत्यधिक कोमल स्थिति में रहता है, उस समय उस पर सौरमण्डलीय परिस्थितियों का संग्राहक प्रभाव पड़ता है। इस आधार पर उसकी अभिरुचि, प्रतिभा, व्यक्तित्व इत्यादि का पता चलता है और रहस्यमयी बातें, जिनका मनुष्य जीवन के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है, वह ज्योतिष शास्त्र के द्वारा ज्ञात की जा सकती है।
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