आजकल के नवशिक्षित प्रायः कहते सुने जाते हैं कि नाड़ी पर हाथ रखकर रोग या रोगी की परीक्षा करना केवल ढकोसला मात्र है। इसी प्रकार कुछ कहते हैं कि आयुर्वेद की वृद्धत्रयी चरक-सुश्रुत वाग्भट्ट में नाड़ी परीक्षा का कहीं नामोनिशान नहीं है। फिर भी इस नाड़ी विज्ञान की चर्चा शाङ्गधर आदि में कैसे और कहाँ से आयी है ? कुछ समझ नहीं पड़ता। आदि आदि।
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