Mook Prashan Vichar
प्रदन दो प्रकार के होते हैं]. वाचिक और.2. मूक । जब प्रदनकर्त्ता स्वयं अपने प्रश्न को ज्योतिषी के सम्मुख रखकर उसका फल पूछता है, तो वह वाचिक कहलाता है, किन्तु मूक प्रश्न में पुच्छक अपना प्रश्न या मनोभाव न बतलाते हुए ज्योतिषी से अपने प्रश्न एवं उसके फलको यथार्थे रूप में बतलाना एक चमत्कार है । ः
प्रदन शास्त्र के सभी ग्रंथों में मूक प्रश्न की चर्चा की गयी है, किन्तु एक ग्रंथ में इस विषय का सर्वाङ्गीण एवं शास्त्रीय (55९०१३४०) विवेचन नहीं किया गया। विद्वान लेखक ने इसी अभाव की पूर्ति के लिए प्रस्तुत पुस्तक का प्रणयन किया है ।
प्रदन लग्न पद्धति, प्ररनाक्षर पद्धति, स्वर पद्धति एवं चक्र पद्धति आदि सभी प्रणालियों का शास्त्रीय विवेचन करते हुए इस पुस्तक में मूक प्रश्न जैसी जटिल पहेली को सुलझाने के लिए सरल एवं शास्त्रीय नियमों की सोदाहरण ब्याख्या की गयी है । साथ ही मूक प्रश्न का निर्णय करने के बाद उसका शुभ या अशुभ फल जानने के लिए महत्त्वपुणं एवं अनुभूत योगों का संकलन दिया गथा है ।
आपके मन में किसी भी प्रकार का प्रश्न हो- किसी ब्यक्ति के बारे में लाभ-हानि, ब्यापार, हार-जीत, भ्रचानफ लाभ या प्रेम-सम्बन्ध के बारे में इस पुस्तक की सहायता से उस प्रश्न को तथा अच्छे या बुरे फल को जान सकते हैं।
इस प्रकार मूक प्रदन का विचार करने के लिए सवंप्रथम लिखी गई यह मौलिक पुस्तक ज्योतिष शास्त्र के विद्वान एवं जिज्ञासु पाठक दोनों के लिये पठनीय तथा संग्रहणीय है ।
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