Mantra Shakti Se Kamna Siddhi
निःसन्देह आप कोई ऐसी पुस्तक देखने को लालायित थे, उत्सुक थे; जिसमें आपको अपनी सम्पूर्ण समस्याओं का समाधान सुलभ हो सके। ऐसी सामग्री हो, जो अपने आप में पूर्ण हो, बोधगम्य हो तथा सरल व स्वाभाविक हो। जहां मैं लेखक हूं, वहीं अभी तक अपने-आपको पाठक भी मानता हूं । यत्र-तत्र खूब घूमा-फिरा हूं । बहुत कुछ खोकर बहुत अधिक पाया भी है। पड़यो अपावन ठौर पे कंचन तजे न कोय के अनुसार मुझे सीखने का समझने का जहां भी अवसर मिला, मैंने पाने का अथक प्रयास किया है।
इस युग को ‘कलयुग’ अर्थात् मशीनी युग की संज्ञा दी जाती है और यह सत्य भी है। आज मनुष्य मशीनों का दास बन गया है। विश्व प्रगति पथ पर बहुत आगे बढ़ गया है। लाखों-लाख मील की दूरी पर स्थित ग्रह लोकों पर जा पहुंचने की हिम्मत कर चुका है। प्रगति के रहस्यों को भेदने का सतत् प्रयास कर रहा है। आगे, और आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है वह दुःख इस बात का है कि इस प्रगति की होड़ में वह निरन्तर नास्तिकता की ओर भी बढ़ रहा है। ऋषि महर्षि, दैवज्ञ- पूर्वजों की विद्या तन्त्र-मन्त्र-यन्त्र शक्ति को उपेक्षित करता जा रहा है। यह सब कुछ उसे झूठ, व्यर्थ, बकवास, फालतू व निरर्थक-सा लग रहा है। हर कदम पर वह उसकी आलोचना करने से नहीं चूकता। परन्तु मेरा यही कथन है कि आलोचना करने से पूर्व इसकी सत्यता का परीक्षण तो करें तब आलोचना करें।
आलोचना में सत्यता कहां तक है? एक समय था, जब बालक गुरु गृह में पढ़ने जाया करता था और शास्त्र-शस्त्रास्त्र विद्या में पारंगत हो जाता था। रामायण या महाभारत उठा कर देखें। मन्त्र-बल से शत्रु पर अग्निबाण या वरुण-बाण छोड़े जाते थे। मंन्त्र – बुल से ही विजय श्री प्राप्त करते थे। कितनी प्रगति थी मन्त्र विद्या की पुष्पक विमान था, इसे कोई नकार सकता है? क्या मात्र कल्पना थी? मूलतः मन्त्र-यन्त्र एक श्रेष्ठ विद्या है। अथर्ववेद भरा पड़ा है मन्त्रों से मंत्रों में दिव्य शक्ति समाई हुई है। इससे यदि किसी देवता की करुणा प्राप्त की जाय या प्रार्थना की जाय तो इष्ट देवता प्रसन्न होता है। बड़े-बड़े असाध्य कार्य साध्य हो जाते हैं।
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