इस सृष्टि में दो ही वस्तुयें जीवित हैं- प्राणी तथा पौधे । प्राणी तथा पौधों का जीवन एक-दूसरे के सापेक्ष है किन्तु देखा जाये तो पौधे प्राणियों पर कहीं ज्यादा ही उपकार करते हैं। वृक्ष एवं पौधे समस्त प्राणियों को स्वस्थ एवं जीवित रखने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। प्राचीनकाल में जब मानव अपने विकास के प्रारम्भिक चरणों में था, तब वह प्रकृति के अत्यन्त निकट था, इसी कारण से उसका जीवन बचा रहा। पेड़-पौधों में असंख्य ऐसे गुण विद्यमान रहते हैं जिनके बारे में मानव को अधिक जानकारी न होने के उपरांत भी वह उनका लाभ लेता है तथा सुख भोगता है। अगर मानव का जन्म किसी ऐसे स्थान पर होता, जहाँ पेड़-पौधे न होकर केवल जल होता अथवा रेत-मिट्टी, पहाड़ होता तो वह जीवित ही नहीं बच पाता। इस दृष्टि से पेड़-पौधे हमारे जीवन रक्षक भी हैं और पालनहार भी हैं।
विश्वभर में उसी देश में स्वास्थ्य का प्रतिशत अधिक है जहाँ पेड़-पौधों का संरक्षण किया जाता है, उन्हें रोंपा तथा पाला जाता है। जहाँ पर पेड़-पौधे कम होते हैं, वहाँ के मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से अनेक समस्याओं से घिरे रहते हैं। विभिन्न वृक्षों की मूल, छाल तथा पुष्प अनेक औषधियों के निर्माण में काम आते हैं, विभिन्न प्रकार के फल वर्षभर विभिन्न मौसमों में प्राप्त होते हैं। यह सब हमारे स्वास्थ्य का न केवल संरक्षण करते हैं अपितु अनेक प्रकार के रोगों से रक्षा भी करते हैं।
वर्तमान में मौसम तथा पर्यावरण में भारी परिवर्तन देखने को मिल रहा है, जो विभिन्न आपदाओं की आहट के समान है, इसलिये आज पेड़-पौधों की सर्वाधिक आवश्यकता है। एक भी पेड़-पौधा काटा न जाये, अगर किसी कारण से काटना भी पड़े तो एक के स्थान पर चार का रोपन तथा पालन करें। इस बात को हमें कभी नहीं भूलना चाहिये कि वृक्ष ही हमारे रक्षक और पालक हैं।
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