अनुवादक के दो शब्द
कुछ माह पूर्व जब श्रीमती आखिलाण्डेश्वरी कुमार ने उनकी स्थिर दशा पर अंग्रेजी की पुस्तक का हिन्दी अनुवाद मुझे करने को कहा तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि मैंने वर्षों से जैमिनी ज्योतिष नहीं पढ़ाई थी। जब मैं भारतीय विद्या भवन में ज्योतिष शास्त्र का विद्यार्थी था तब श्री के॰एन॰ राव महाभारत के श्री कृष्ण की भांति प्रायः अकेले ही पूरी पढ़ाई के सूत्रधार थे। हर विषय को, चाहे उसे कोई भी शिक्षक पढ़ा रहे हों, अन्तिम रूप से माँजने सवाँरने का काम श्री राव ही करते थे। उन्होंने ही हमें ब्रह्मा, रुद्र और महेश्वर से परिचित कराया। किन्तु उसके वर्षों बाद श्रीमती अखिला की पुस्तक का अनुवाद करने से ही अब मुझे स्थिर दशा का निकट से समझने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह बात निर्विवाद है कि दशा कोई भी प्रयोग की जाय, परिणाम वही निकलते हैं। अखिला जी की प्रतिभा से पूरा भारतीय विद्या भवन का ज्योतिष स्कन्ध प्रभावित रहा है। मुझे पता नहीं था कि वे इतना बढ़िया लिखती हैं। भाषा की सहजता और बोधगम्यता उनकी स्पष्ट सोच को ही दर्शाती है।
भाषा सरल रखी गयी है। विषय नया है किन्तु अत्यन्त प्रभावी और उपयोगी भी। इसलिये अनुवाद की
ऐसे प्रयास में कुछ त्रुटियाँ रह जाना स्वाभाविक भी है। उसके लिये मैं हृदय से क्षमा याचना करता हूँ इस सुन्दर कृति के लिये श्रीमती अखिला को हृदय से साधुवाद देता हूं।
डॉ० उदयकान्त मिश्र
विक्रम संवत् 2062
1 नवम्बर 2005
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