निमित्त यह-‘बालबोधज्योतिषसारसंग्रह’ ग्रन्थ हिन्दीटीका सहित हमने लिखकर प्रकाशित किया है, ज्योतिषशास्त्र के प्रायः सबही आवश्यक विषय इसमें आ गये हैं। यद्यपि इस विषय का ग्रन्थ श्रीभट्टाचार्य काशिनाथजी ने संग्रह करके ‘शीघ्रबोध’ नाम से प्रकाशित किया, तथापि शीघ्रबोध क्रमविरुद्ध ग्रन्थ है, क्योंकि प्रथम होडाचक्र की आवश्यकता थी सो भट्टाचार्यजी ने चौथे (अन्तिम) प्रकरण में लिखा है, इस बालबोध में सम्बत्सरादि क्रम से सब विषय समझकर लिखे गये हैं, पांच रत्नों से विभूषित यह बालबोध ग्रन्थ ज्योतिषशास्त्राध्ययनाभि- लाषियों को प्रथम पढ़ने के योग्य है, इसमें पांच रत्न हैं-१ प्रथम संज्ञारत्न, २ द्वितीय योगरत्न, ३ तृतीय मुहूर्तरत्न, ४ चतुर्थ संस्काररत्न, ५ पंचम मिश्ररत्न, लेखक दोष से यदि इसमें कहीं कुछ अशुद्ध लेख हो गया हो उसको पंडितजन क्षमा करें यह हमारी विद्वज्जनों से प्रार्थना है। यह ग्रन्थ सर्वाधिकार सहित लक्ष्मीबेङ्कटेश्वर प्रेसाध्यक्ष गंगाविष्णु श्रीकृष्णदासजी को दिया है।
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