पुस्तक में दी गयी रोचक घटनाएं पठनीय हैं। यदि आप ज्योतिष शास्त्र से अनभिज्ञ भी हैं, तो भी सच्ची घटनाएं आपको रोचक अवश्य लगेंगी, और यदि आप ज्योतिषी हैं तो निश्चय ही आपके ज्ञान में वृद्धि होगी।
आज के हमारे युग में विज्ञान तथा खगोल शास्त्र आदि को ईश्वर का पर्याय बना दिया गया है। विज्ञान की गर्वीली उपलब्धियां ईश्वर की सत्ता को नकारना चाह रही हैं। ज्योतिष जो वस्तुतः परावैज्ञानिक शास्त्र है, ईश्वर की सत्ता में दृढ आस्था को प्रेरित करने के लिये कृतसंकल्प है।
यद्यपि तथाकथित तर्कवादियों तथा पश्चिम की अन्धाधुन्ध नकल करने वाले मूर्ख वैज्ञानिकों के गले जल्दी से यह सत्य नहीं उतरेगा, पर सत्य तो यही है कि ज्योतिष शास्त्र में केवल सत्य और सत्य के अतरिक्त और कुछ नहीं समाहित है। यह दीगर बात है कि ज्योतिर्विद् भी ज्योतिष शास्त्र के सम्पूर्ण सत्य को समझने में, अपने सीमित ज्ञान के कारण, असमर्थ हो जाते हैं।
यह पुस्तक मान्यता स्थापित करती है कि :-
प्रारब्ध है, जन्म-जन्मान्तर पुनर्जन्म का चक्र है, कर्म, कर्मफल तथा जन्म जन्मान्तर के कर्म संस्कार, एक शाश्वत तथा सिद्ध सत्य हैं।
कालचक्र है, जिसकी अपनी रहस्यात्मक गति है, तथा जिसको ज्योतिषी ही भली प्रकार समझ सकता है।
भौतिक विज्ञान की स्थूल उपलब्धियों तथा खगोल शास्त्रियों के सतही ज्ञान के बखान ने आपके शुद्ध अंतःकरण को भले ही कितना दूषित कर रखा हो, यह पुस्तक पुनः आपको आस्थावान बनने को प्रेरित करेगी। पर कहीं ऐसा न हो कि आप किसी ज्योतिषी को ही सर्वज्ञ भगवान मानने लगें।
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