Brihajjatakam
सूर्य कालपुरुष की आत्मा, चन्द्रमा मन, मंगल सत्त्व, बुध वाणी, गुरु ज्ञान व सुख, शुक्र ज्ञान, सुख व कामशक्ति एवं शनि दुःख का प्रतिनिधि है । सूर्य व चन्द्रमा राजा, मंगल नेता या सेनापति, बुध राजकुमार, गुरु व शुक्र मन्त्री तथा शनि प्रेष्य या नौकर है।
सूर्य की बलवत्ता से आत्मा की बलवत्ता होती है। अतः जिसकी कुण्डली में सूर्य बलवान् हो, वह जीवित रहता है; आत्मबल, जीवनी शक्ति, जिजीविषा, महत्त्वाकांक्षा, स्वाभिमान अधिक होता है। चन्द्रमा की बलवत्ता से व्यक्ति के अन्तःकरण अर्थात् मन, बुद्धि, चित्त व अहंकार की प्रधानता सूचित होती है। तब जातक दृढनिश्चयी, मजबूत इरादे वाला, धुन का पक्का होता है । सत्त्व व्यक्तित्त्व का वह गुण है जिससे कष्ट या शोक में विह्वलता एवं प्रसन्नता में अतिशय उत्फुल्लता पर नियन्त्रण रहता है। अतः बलवान् मंगल से जातक सत्त्वशील अर्थात् सुख व दुःख में अतिशय दृष्ट या शोक मग्न
नहीं होता है। यह महानता का लक्षण है।
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