म. म. सुधारकर द्विवेदी जी द्वारा विरचित दीर्घवृत्त लक्षणम् ग्रंथ उनके द्वारा विरचित अनेक प्रधान पांडित्यपूर्ण ग्रंथों में से एक हैं । ज्योतिष शास्त्र के भारत में तथा विश्व में योग दान के लिए उनके द्वारा विरचित ग्रंथों की महत्ता है। उन्होंने श्री बापू देव शास्त्री कि भाँति हि विदेशी भाषा अंग्रेजी में आधुनिक गणित का अध्ययन किया । वैदुष्य के गाम्भीर्य एवं उच्चस्तर के व्याख्यानों (Lectures) से प्रभावित होकर बड़े-बड़े अंग्रेज भी द्विवेदी जी की गुण गरिमा पर भक्ति प्रदर्शित करने लगे । यद्यपि यह आश्चर्जनक सा था कि सुधाकर जी न तो एम. ए. थे और न ज्योतिषाचार्य ही थे । इसी लिए इस विद्वत, धुरीण के प्रति सहसा सबकी पूज्य बुध्दि उदित होती है । 16-2-1887 को महारानी विक्टोरिया जुबली महोत्सव के अवसर पर इस महान, खगोल शास्त्री को महामहोपाध्याय पदवी से विभुषित किया गया ।
ई. सन् 1889 में. म. म. पं. बापू देव शास्त्री के अवकाश ग्रहण करने के पश्चात् इनकी उत्तम वैदुष्य पूर्ण शास्त्र सेवा पुरस्कार में इन्हें उनके स्थान पर गणित का प्राध्यापक नियुक्त किया गया
इस प्रकार 1855 ई. से लेकर 1910 तक निरन्तर अध्ययन अध्यापन और गोल गणित के अनेक ग्रंथों (लगभग 50 से ऊपर ) पर शोध पूर्ण व्याख्या उपपत्ति के साथ-साथ संहिता होरा स्कंधों पर भी सविशेष शोधात्मक सुव्याख्यान के साथ स्वरचित स्वग्रन्थों से स्कन्ध त्रयात्मक ज्यौतिष धरातल में आजतक म.म. सुधाकर जी का स्थान इकाई पर ही है । ऐसे महान गणितज्ञ एवं खगोल शास्त्री द्वारा विरचित “दीर्घवृत्त लक्षणम्’ ग्रंथ की, जिसे संस्कृत में लिखा गया था की मैंने हिन्दी में टीका करने का प्रयास किया हैं ।
श्री सुधाकर जी स्वयं ने हिन्दी में ग्रंथों की रचना की थी अतः मेरी भी हिन्दी में टीकी करने की इच्छा हुई । डा. संपूर्णानन्द विश्व विद्यालय से मुद्रित “दीर्घवृत्त लक्षणम्” पुस्तक में छपाई की त्रुटियों तथा प्रुफरिडिं में कमी के कारण अनेकों गलतियाँ दृष्टिगोचर होती है, मैने उन्हें ठीक करने का प्रयास किया है तथा श्रीसुधाकरजी द्वारा दी गई उपपत्तियों में मूक रही गणित क्रियाओं को खोल कर प्रस्तुत किया है । कुछ स्थानों पर प्रकारान्तर से उपपत्ति देकर समझाया है । मैने पुस्तक में यह प्रयास किया है कि विषय सामग्री पाठकों को आसानी से समझ में आ सके । इनके लिए मैनें पुस्तक में प्रथम भाग जोड़ा है जिसमें मैने समस्त विषय को अपने ढंग से अलग प्रकार से समझाने तथा प्रस्तुत करने प्रयास किया है ।





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