स्तंभ के समान नौ भाग कर सबसे नीचे के भाग को वहन बनावे, भूमि पर जिसके ऊपर स्तंभ रहता है उसको वहन कहते हैं। वहन के ऊपर एक भाग में घट बनावे, उसके ऊपर के भाग में कमल बनावे, उसके ऊपर के भाग में उत्तरोष्ठ बनाकर शेष पांच भागों को चतुरस्र आदि बना देवे। शोभा के लिये जिसमें अनेक प्रकार के चित्र बनाये जाते हैं उसको उत्तरोष्ठ कहते हैं।।४८।। स्तंभ के ऊपर जो तिरछा काष्ठ रखा जाता है उसको भारतुला कहते हैं और भारतुला के ऊपर जो और काष्ठ लगाये जाते हैं उनकी तुलोपतुल संज्ञा है भार तुला की मोटाई स्तंभ की मोटाई के तुल्य होती है और तुलोपतुलों की मोटाई चौथाई २ घटाने से होती है।
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