Tantra Rahasya
आपके इन्तजार की घड़ियाँ समाप्त हुईं। आप एक लम्बे समय से एक ऐसी पुस्तक चाहते थे, जो आपकी आर्थिक विषमता को समाप्त करने में सहायक हो सके। आज का इनसान रात-दिन एक कर, पैसा जोड़ना चाहता है पर एकाएक कोई-न-कोई ऐसा कार्य आ पड़ता है कि संगृहीत पूंजी एकाएक समाप्त हो जाती है। चाहे व्यापारी हो अथवा राज्यसेवी कर्मचारी, कहने का तात्पर्य यह है कि आर्थिक संकट के दौर से सभी गुजर रहे हैं। हर व्यक्ति अपने भविष्य से सशंकित है, पीड़ित है और ऐसी अवस्था में रोगी भागता है, डॉक्टर के पास और धनहीन भागता है ज्योतिषी के पास ।
मैं खूब घूमा हूँ। समाज को भली प्रकार जानने और समझने का प्रयास किया है। वर्ष भर में 6 से 9 हजार के लगभग लोगों का हाथ देखता हूँ अथवा जन्मपत्री का अवलोकन करता हूँ। प्रश्नोत्तर में दो-तीन प्रश्न मुख्य रूप से सामने आते हैं, जिससे समाज की जन्मांग रूपी चाशनी जाँचने में मदद मिलती है। वे प्रश्न हैं-
(i) मुझे गड़ा हुआ धन या अकस्मात धन प्राप्त होगा या नहीं? (ii) मैं विदेशाटन मूलतः अरबियन कंट्रीज की यात्रा कर पाऊँगा या नहीं?
(iii) विवाहित जीवन अर्थ-पक्ष में कैसा रहेगा? अर्थात् दहेज !
मैं एक अर्से से ऐसा सोच रहा था कि पाठकों को पुस्तक के माध्यम से एक ऐसी चीज दूँ, जो बोधगम्य हो, सरल हो, जिससे पाठक थोड़े में समझकर स्वयं निर्णय कर सकें।
मैंने हिन्दुस्तान का भ्रमण किया है, अनेकानेक से मिला हूँ। स्वयं जिज्ञासु पाठक होने के कारण ऐसे ज्ञान की खोज में रहा हूँ, जो कि जन सामान्य के लिए उपयोगी हो, पर असफल रहा। अन्ततः मैं स्वयं तत्पर हुआ ऐसी पुस्तक लिखने के लिए और फल स्वरूप यह पुस्तक पाठकों को समर्पित है।
प्रश्न है कि ज्योतिष शास्त्र क्या है? यह भूतकाल, भविष्य और वर्तमान की कहानी है; सार-संग्रह है, यह पथ का प्रदर्शक है और अशुभ को शुभ में बदलने का बल है। सच्चे कर्म की ओर ज्योतिष बढ़ने की प्रेरणा देती है। जन्मकालिक ग्रह-स्थिति से या हाथ की रेखाओं से भविष्य में शुभाशुभ घटित का लेखा-जोखा करता है। सुप्त भाग्य को जगाता है व जागे भाग्य को आगे बढ़ाता है। ज्योतिष है भाग्य-नियामक, भाग्यनिर्माता ।
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