Lal Kitab
आज के परिप्रेक्ष्य में हर आम व्यक्ति ‘लाल किताब के नाम से भली प्रकार परिचित है। इस दशक की सर्वाधिक चर्चित पुस्तक का नाम है ‘लाल किताब । मूल रूप से यह पुस्तक श्री गिरधारी लाल शर्मा द्वारा उर्दू भाषा में लिखी गई थी। कालान्तर में इसका हिन्दी भाषा में अनुवाद हुआ और जब किसी मूल ग्रन्थ का अनुवाद होता है तो उसमें कुछ न कुछ मिलावट हो जाना सहज स्वाभाविक है। मूलतः हमारे ऋषि-महर्षि, दैवज्ञों, ज्योतिष वेत्ताओं, भविष्यवक्ताओं ने नारद, पराशर, कालिदास, वाराहमिहिर, जैमिनी, भृगु आदि एवं नवीन, नवोदित आचार्यों ने ग्रह दोष, ग्रहों के कुफल को दूर करने के लिए यज्ञ, हवन, पूजा पाठ, अनुष्ठान, दान-पुण्य का आदेश दिया।
कालान्तर में और संभवतः आर्थिक विषमता के दौर में समयाभाव को जानकर, समझकर लाल किताब के रचयिता श्री शर्मा ने जनसाधारण, हर आम व्यक्ति का ध्यान रखते हुए सरल से भी सरलतम उपाय, कम-से-कम धन व्यय करके किये जाने वाले उपाय सुझाये, भविष्य में यही सहज उपाय टोटकों के रूप में प्रचलित हो गये। ग्रन्थकार ने कुछ आचार संहिता, धर्म, व्यावहारिक पक्ष, सदाचरण, जीवन के मूलभूत आदर्शों को ध्यान में रखते हुए, सामाजिक मर्यादाओं का पालन करते हुए उपाय सुझाए जिन्हें आम नागरिक ने हृदय से स्वीकारा । उदाहरणार्थ बड़े बुजुर्गों का आदर करना, मातृ-पितृ सेवा, गाय को घास डालना, कुत्ते को रोटी डालना, बन्दरों को चना-गुड़ खिलाना जैसे उपाय जो हर व्यक्ति सरलता से कर सकता है।
जहाँ भारतीय ज्योतिष में बारह राशि व नौ ग्रहों की प्रधानता है वहीं लाल किताब ने भी इसे स्वीकारा है। मात्र प्रचलित ज्योतिष में जन्म पर समय आधारित लग्न निर्धारित होता है वहीं लाल किताब सदैव मेष से मीन तक निश्चित रखता है। – खोटे सिक्के बहते पानी में बहा दें, राहु का दुष्प्रभाव शांत हो जायेगा । हृदय रोग पीड़ा दे रहा है तो सुहासिनी या कुंवारी कन्याओं को भोजन करवायें, उपहार दें।
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