Jyotish Aur Ratna (Manikya)
रत्न उन दुर्लभ पुष्पों की भांति हैं जो न कभी मुरझाते हैं और न ही कभी कुम्हलाते हैं, वे सदैव चित्ताकर्षक व सम्मोहक होते हैं। पुष्पों की भांति सुगंधित न होने के बावजूद भी ये तन-मन को देदीप्यमान करते हैं तथा अथाह ऊर्जाओं के दाता व शक्ति प्रदाता होते हैं । भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं, संस्कारों, संस्कृतियों ने संपूर्ण विश्व को अपने चिंतन, आलौकिक दैविक संपदाओं से चमत्कृत किया है। इसकी भौतिक संपदाओं की चमक-दमक से संपूर्ण विश्व चकाचौंध हो रहा है। हमारे रत्नों ने सदैव अपनी उपयोगिताओं के कारण प्रसिद्धि पाई है।
पारदर्शिता, अल्पपारदर्शिता, अपारदर्शिता, रंगविहीनता, आकर्षकता, अनाकर्षकता, कठोरता आदि रत्नों के विभाजन की विभिन्न श्रेणियां हैं। अपर्याप्त और दुर्लभ वस्तुओं के संग्रह की लालसा मानव-मन में सदैव विद्यमान रहती है, इसीलिए आसानी से प्राप्य, सुलभ वस्तुओं, रत्नों आदि के प्रति उसका आकर्षण समाप्त हो जाता है। अतः रत्नों की दुर्लभता भी उसका विशेष गुण माना जाता है। इसके अतिरिक्त रत्नों के दो और विशेष गुण हैं- प्रथम कठोरता व द्वितीय चित्ताकर्षकता। रत्न धारण करने की प्रथा अत्यंत प्राचीन तो है ही, साथ ही लाभकारी भी है। जनमानस के पटल पर रत्नों के विषय में अनेक भ्रांतियां हैं जिस कारण समाज का एक बड़ा वर्ग इसके लाभों से सदैव ही वंचित रहा है। इसी अज्ञानता वश इसका प्रभुत्व एक समुदाय विशेष के हाथों सीमित रह गया है।
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