Mukhakriti Vigyan
मुखाकृति विज्ञान चेहरे- मोहरे को देखकर अच्छे- बुरे चरित्रको भाँप लेना अत्यन्त उपयोगी कला हे। दुर्जनों से बचते है । प्रस्तुत पुस्तक ” मुखाकृति विज्ञान” को समझकर आप भी इस कला में पारंगत हो सकते है । मुखाकृति अध्ययन के लिए जन्म- कुंडली की आवश्यकता नहीं, चेहरे की किताब सदा खुली हीरहतीहै ।मुखाकृति विज्ञान के अध्ययन आप यह ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं । इस पुस्तक में विद्वान् औरअनुभवी लेखक ने मस्तक, भाल, केश, रेखा, नाक , कान, भोंहै , बरौनी , आँख, अध्रअर , कपोल, चिबुक , दन्त पंक्ति आदि की बनावट – संजावट, रंग -रूप, स्थिति और झलक की विविधता औरविभिन्न रूपता के आथार पर बिभिन्नजातकों के चारित्रिक गुण दोषों का विस्तृत और सटीक परिचय दिया है जो अनुभव की कसौटी पर भी खरा उतरा है । हमें पूर्ण विश्वास है,आप पुखाकृति- विज्ञानमें उद्दभासित ज्ञान के प्रकाश से अवश्य ही लाभान्वित होंगे l
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