Vyavasay ka Chunav Aur Aarthik Sthiti
ज्योतिष शास्त्र के पितामह महर्षि पराशर ने अपने निर्णायक ग्रन्थ बृहत् पाराशर होरा शास्त्र में जिस धन-मान और सुख देने वाले राजयोग को बताया है, वह योग भगवान विष्णु के उनकी शक्ति-लक्ष्मी से मिलने के समान ही उपकार व समृद्धिकारक है अर्थात जब केन्द्र के स्वामियों का योग त्रिकोण के स्वामी से होता है अथवा जब एक ही ग्रह केन्द्र तथा त्रिकोण दोनों का स्वामी हो जाता है तो इस योग अथवा सम्बन्ध के फलस्वरूप उच्च पदवी, मान, यश तथा विशेष धन की प्राप्ति होती है। यदि यह त्रिकोण और केद्र का स्वामी जिसको ज्योतिषी राजयोग कारक ग्रह कहते हैं बलवान भी हो तो अपनी दशा और विशेषतया अपनी अन्तर्दशा में निश्चित रूप से धन, पदवी व सुख देने वाला होता है। यह बात अनुभूत है और पत्थर की लकीर की तरह है।
Reviews
There are no reviews yet.