Vedanga Jyotisham
महर्षि लगध प्रोक्त प्रस्तुत वेदांग ज्योतिष शास्त्र की गूढ़ व मौलिक नियमावली प्रकट करता है। लगभग 3500 वर्ष पूर्व काश्मीर के किसी भूभागपर ऋषि द्वारा यह ग्रन्थ प्रकट किया गया था। ज्योतिष की प्राचीनतम उपलब्ध रचना ।
. विद्यार्थियों व शोधार्थियों के लिए समान उपयोगी । वेदों के अंग रूप में मान्य एकमात्र ग्रन्थ । प्रतिदिन पाठमात्र करने से ज्योतिष ज्ञान सम्भव ।
. वेदमन्त्रों की तरह प्रभावशाली । शताब्दियों तक प्रचलन में रहने के बाद विस्मृत ग्रन्थ का पुनरुद्धार । वैज्ञानिक ढंग से सुव्यवस्थित किए गए वर्तमान संस्करण में : सरल, सुबोध भाषा व कठिन स्थलों का विवेचन ।
. आधुनिक उदाहरणों द्वारा वैज्ञानिक ढंग से जाँचा व परखा। आज भी ज्योतिषीय गणना में उपयोगी।
. सुन्दर, सलोनी, सर्वांगपूर्ण, सोदाहरण प्रस्तुति ।
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