वास्तुशास्त्र-सार पुस्तक का प्रस्तुतीकरण प्राचीन ग्रन्थों पर आधारित है। इसको लिपिबद्ध करने की प्रेरणा मन्त्र-दीक्षागुरु, युगपुरुष तपोनिष्ठ वेदमूर्ति आचार्य पं. श्रीराम शर्मा, शान्तिकुञ्ज, हरिद्वार तथा संन्यास-दीक्षागुरु प्रातः स्मरणीय परमपूज्य स्वामी चिदानन्दजी सरस्वती एवं परमपूज्य स्वामी प्रेमानन्दजी सरस्वती, दिव्य जीवन संघ, शिवानन्द आश्रम, ऋषिकेश के श्रीचरणों के आशीर्वादस्वरूप प्राप्त हुई। गुरु-तत्त्व की कृपा ही मेरा ज्ञान एवं साधना है। इस शरीर का इसमें कुछ भी नहीं है, अतः तेरा तुझको अर्पण के भाव से श्रद्धा-कृतज्ञतायुक्त आराधना के रूप में गुरुसत्ता के चरण-कमलों में सादर समर्पित ।
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