ब्वार्थ, और परमार्थ दोनों के लिये ज्योतिष शास्त्र बहुत ही अच्छा है। इसके फनिल पभी में में नित्य व्यवहार उपयोगी बातें हूँडकर उनका अभ्यास किया जाय तो वह मनुष्य पर ही में बेडा हुआ धनी मानी और परोपकारी हो सकता है किन्तु एक बात के लिये अनेक ग्रन्थों का अभ्यास किया जाय तब सफलता प्राप्त होती है और ऐसा करने के लिये भागस्त के प्रायः नियद्यमी निरुत्साही. निराश्रयी, निरायुषी लोग कहां तक ऐसे कामों में तन, मन, धन सभा सकते है अतएव ऐसे ही लोगों के उपकार के लिये श्रीपेचविजय महाशय ने ‘वाराहीसहिता’ आदि कई एक संहिताओं में सामयी इकट्ठी करके यह ‘वर्षप्रबोध बहुत ही उत्तम निर्माण किया था और इसमें सेती करनेवालों के उपयोगी, व्यापारियों के उपयोगी तथा धनयाही अथवा परोपकारी पंडितों के लिये उपयोगों कई बातों का अच्छा संग्रह किया था किन्तु कालान्तर के कारण अथवा दुर्लभता से यह संग्रह छिম দিয় होकर मंडित हो गया।
और सद्धवस्था रूप से भव कहीं मिलता भी नही है। यद्यपि हिन्दीटीका सहित एक मिलता है किन्तु वह ऐसा है मानों बुले पत्रों की पुस्तक आंधी में उड़ गई हो और उसी को ढूंढकर विता नम्बर देखे ही ज्यों की त्यों छाप ही हो, क्योंकि उसमें एक ही विषय के इस इस अंगों में से आठ आठ अंग जाते रहे है और कई एक विषय इधर के उधर छिन भित्र होकर सहित हो रहे हैं। संभवतः इसी कारण से विद्वानों के उपयोग में यह ग्रन्थ विशेष नहीं जाता है।
अतएव इन सब गरबड़ाध्यायों को देखकर ही मैंने अब इस ग्रन्थ का फिर से संग्रह किया है और जहां जहा जो जो कुछ पुटिमा अशुद्धियां न्यूनता वा लोम विलोम थी, उन सबको काट छांट फेरबदल भऔर संमिश्रण करके इसे यभासाध्य सागोपाग-सद्वधवस्था और सर्वोपयोगी बनाने का प्रयत्न किया है। जो जो विषय इसमें अवत्ल बदल लोम विलोम और खंडित हो गये थे उन सबको क्रमपूर्वक सिलसिलेवार नगाकर मंडित अंगों को और और चन्पों के आधार से पूर्ण किया है।
और इसमें से जो अंग जाते रहे थे उनके सैकड़ों लोक अन्य ग्रन्थों से लेकर इसमें लगा दिये हैं, विशेषकर पंचांग बनानेवालों की उपयोगी भविष्यफल सम्बन्धी सब सामधी इसमें संयुक्त कर दी है। अतएव अब यह पन्च व्यापार करनेवालों, खेती करनेवालों, पंचांग बनानेवालों, वर्षा भादि देखनेवालो जऔर शुभाशुभ बतलानेवालों को अवश्य ही लाभदायक हो सकता है। आशा है विद्वान् लोग इस सम्मार्जित कुसुमोपहार को स्वीकार करने में संकोच नहीं करेंगे। मैंने अव इस ग्रन्थ का सर्वाधिकार ‘बीवेंकटेश्वर प्रेस’ के मालिक सेठ खेमराजती को दे दिया है
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