हिन्दू ज्योतिष के तीन प्रमुख आयाम वर्ग कुंडलियां, दशा प्रणाली और योग हैं। यह पुस्तक वर्ग कुंडलियों से संबंधित है।
वृहत पराशर होरा शास्त्र हमें वर्गों का ज्ञान देता है। इन वर्गों का व्यावहारिक उपयोग पहली बार फलित ज्योतिष में करने की विधि दी गई है। इस पुस्तक में पराशरी और अन्य वर्गों का फलित में बहुमूल्य योगदान की सरलता से व्याख्या की गई है।
पुस्तक में निम्न विषय अत्यन्त उपयोगी है
1. प्रत्येक वर्ग कुंडली की परीक्षा के नियम
2. वर्ग कुंडली के प्रत्येक भाव के कारकत्व
3. वर्गों का आपसी समन्वय
वर्गों के समन्वय की पहली बार चर्चा की गई है । यह पद्धति फलित में एक नया आयाम है और एक अनुसन्धान का विषय है ।
यह पुस्तक ज्योतिष को एक वैज्ञानिक ढंग से प्रत्येक कुंडली पर लगने वाले सिद्धांत समझने में सहायक है । ज्योतिष सिद्धांत आजकल के परिपेक्ष में समझना जरूरी है और इससे ही ज्योतिष विद्या का रोमांच है ।
प्रत्येक अध्याय में नियमों को उदाहरणों में लगा कर देखा गया है जिससे उनका अर्थ समझने में सुविधा हो । यह पुस्तक सभी ज्योतिष प्रेमी और विद्वानों के लिए लाभकारी हो ऐसी कामना से इसे प्रस्तुत करता हूं ।
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