वाराहीसंहिता ज्योतिष का प्रधान ग्रंथ है। इसके रचयिता वराहमिहिराचार्य आदित्य- दास के पुत्र थे जो कि अवन्तीनिवासी थे। वराहमिहिराचार्य ने अपने पिता से समस्त शास्त्र- को पढकर कपित्थनगर में जाकर सूर्यभगवान्की तपस्या की और वर पाया। जो कुछ भी हो हम को इस ग्रंथ की भूमिका में वराहमिहिर और सूर्यसिद्धांत के बनाने वाले समय का निर्णय करना है। क्योंकि इन लोगोंके समय का निरूपण हो जाने से और भी अनेक ज्योतिविद्गणों के समयका निरूपण हो जायगा वराहमिहिराचार्यने अपने पंचसिद्धात्मिका नामक ग्रंथ में लिखा है
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