Vanshavali
इस शताब्दी में ही मिश्रकुलोत्पन्न, पण्डितकुलसूर्य-भारतगौरव सर्व- तन्त्र-स्वतन्त्र-महामहोपाध्याय पं० शिवकुमारशास्त्रीजी महोदय को कौन नहीं जानता? युग के महर्षि सरयूपारीणकुलभूषण-भारत प्रथम राष्ट्रपति- पूजित-सर्वतन्त्रस्वतन्त्र-चरकावतार-वैद्यसम्राट् पं० सत्यनारायणशास्त्रीजी महानुभाव के समक्ष कौन नतमस्तक नहीं हुआ? सभी शास्त्रों के, वेदों के, भारतीय संस्कृति के एकमात्र नेतृत्व करमेवाले, भयङ्कर नास्तिकता के दुर्दान्त समय में भी धर्म तथा विश्वकल्याण का झण्डा उठानेवाले महाविद्वान् त्याग- तपोमूत्ति अनन्तश्रीविभूषित जगद्वन्द्य स्वामि श्रीकरपात्रीजी महाराज जैसे महापुरुष भी इस वंश के प्रदीप हैं।
सर्वलक्षणलक्षित ब्राह्मणत्व, विश्वविादेतवैदुष्य तो इस समाज का सनातन आदर्श है। यह सरयूपारीण समाज किसी की शाखा-उपशाखा नहीं अपितु सर्वथा स्वतन्त्र है। कुछ ईर्ष्यालु महाशयों ने इसके महत्त्व को घटाने की दृष्टि से यह प्रवाद उठाया कि यह कान्यकुब्जों की एक शाखा है। वस्तुतः ऐसी बात नहीं, यह सम्भव है कि कुछ कान्यकुब्ज आदि ब्राह्मण प्रतिष्ठा की आकाङ्क्षा से इस समाज में आकर मिल गये। वे मिले भी इस तरह कि अब उनका विभेदक नाममात्र का इतिहास नहीं मिलता। गर्ग, गौतम, शाण्डिल्य प्रभृति महर्षियों का मुख्य कुल यही है।







![Vanshavali [MKL] 1 Vanshavali](https://saptarishisshop.com/wp-content/uploads/2024/01/Vanshavali-278x300.jpg)
![Vanshavali [MKL] 2 Vanshavali 5](https://saptarishisshop.com/wp-content/uploads/2024/01/Vanshavali-5-300x300.png)
![Vanshavali [MKL] 6 Vanshavali 1](https://saptarishisshop.com/wp-content/uploads/2024/01/Vanshavali-1-300x300.png)
 
     
     
     
    ![Ayur Jyotisham(Ayurveda Astrology)[MXP]](https://saptarishisshop.com/wp-content/uploads/2025/10/a7644d7d-3347-4d09-90aa-e5632d747f1f-1-300x300.jpeg) 
    












![Shilanyas Dehlanyas [MKL] 7 Shilanyas Dehlanyas](https://saptarishisshop.com/wp-content/uploads/2024/01/Shilanyas-Dehlanyas-100x100.jpg) 
                    ![Vasturaj Vallabha [MKL] 8 Vasturaj Vallabha](https://saptarishisshop.com/wp-content/uploads/2024/01/Vasturaj-Vallabha-100x100.jpg) 
                    
Reviews
There are no reviews yet.