शरीर को नश्वर एवं आत्मा को अजर अमर माना जाता है | शरीर की मृत्यु के पश्चात यह आत्मा कुछ समय के लिए योनि को प्राप्त होती है | समस्त प्रकार के संस्कार होने तक यह प्रेतात्मा मृतक के निवास अतल के आस पास मण्डराती रहती है, ततपश्चात यह प्रेतात्मा समस्त बंधनों से मुक्त होकर अपने लोक को लौट जाती है | अपवाद स्वरुप कभी कभी कुछ प्रेतात्माएँ मोह के बंधन के कारन से, प्रतिशोध की भावना से अथवा विषय वासना के प्रति आकर्षित होकर अपने लोक को जाने के स्थान पर पृथ्वी पर ही रह जाती है | बाद में कुक प्रेतात्माएँ व्यक्तियों के शरीर पर अधिकार कर विभिन्न प्रकार के उपद्रव करती है | इस प्रकार की घटनायें न केवल हमारे देश में घटित होती है, अपितु विश्वभर में दिखाई देती है |
ऊपरी बाधा पुस्तक प्रेतात्माओं से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के उपद्रवों एवं इनसे मुक्ति प्राप्त करने के उपायों पर आधारित है | आमतौर पर ऊपरी बाधा से ग्रसित व्यक्ति अनेक प्रकार की पीड़ाओं से ग्रस्त रहकर कष्ट भोगता है | ऊपरी बाधा पुस्तक प्रेतात्माओं से सम्बंधित समस्याओं से मुक्ति के आलावा विश्वभर में प्रेतात्माओं द्वारा होने वाले उपद्रवों के बारे में भी जानकारी देती है | ऊपरी बाधाओं से सम्बंधित यह पुस्तक सबके लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी |
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