बहुत हर्ष का विषय है कि ज्योतिष साहित्य के तोन अमूल्य रत्न हिंन्दी जगत् के सम्मुख उपस्थित किए जा रहे हैं। इन रत्नों का अमित प्रकाश फलितशास्त्र में निश्चय ही मार्ग प्रदर्शन का काम करेगा ।
सुश्लोकशतक – उडुदाय प्रदीप पर श्लोकबद्ध – संस्कृतटीका है। इसके एक सौ श्लोक पाराशरो ज्योतिष के विचार में बहुत प्रामाणिक माने जाते हैं। उडुदाय प्रदीप को श्रन्य संस्कृत टीकाओं का तुलनात्मक विवेचन भी हिन्दी व्याख्या में किया गया है ।
शतमंजरी राजयोग का अनुवाद करीब ५० वर्ष पूर्व बेंगलोर- निवासी, एस्ट्रोलौजिकल मैगज्जोन के संस्थापक श्रो सूर्यनारायण राव ने किया था। यह अनुवाद अंग्रेजी में था जो अब उपलब्ध नहीं है। जहाँ तक हमें ज्ञात है यह राजयोग सम्बन्धो पुस्तक हिन्दी में प्रथम बार प्रकाशित हो रही है। इस प्राचीन पुस्तक के लेखक के विषय में कुछ ज्ञात नहीं है।
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