Tantra Shakti
प्रत्येक मनुष्य अपने आपको सब ओर से सुखी और सम्पन्न देखना चाहता है। सुख की प्राप्ति के अनेक साधन हैं, उनमें तन्त्र-साधना भी एक है। इस साधना के द्वारा बड़ी-से-बड़ी और छोटी-से-छोटी, जैसी भी समस्या हो उसका समाधान सहज प्राप्त किया जा सकता है।
भारतीय जीवन में आस्तिकता पूर्णरूप से घुली-मिली है और इसके फलस्वरूप प्रत्येक भारतीय अपने धर्म और सम्प्रदाय के अनुरूप तान्त्रिक तत्त्वों से सम्बन्ध जोड़कर उससे लाभान्वित होता रहता है।
‘तन्त्र-शक्ति’ में प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं के सहयोग से उनमें सोई हुई दैवी शक्ति को जगाकर अपने अनुकूल बनाने और उनके द्वारा अपने इच्छित कार्यों को सफल बनाने की विधि बताई गई है। ‘उचित समय, उचित देश एवं उचित पद्धति के किए गए कार्य ही वस्तुतः सफल होते हैं’ – इस बात को ध्यान में रखकर इस पुस्तक में शास्त्रीय विधियों को बहुत ही सरल भाषा में समझाया गया है। इसके अध्ययन से तन्त्र-सम्बन्धी भ्रम का सहज निवारण हो सकेगा।
हमारा लक्ष्य रहा है पाठकों को ‘गागर में सागर’ के रूप में अनुभूत साहित्य प्रस्तुत करना। इससे पूर्व प्रकाशित ‘मन्त्र-शक्ति’ पुस्तक का सर्वत्र आदर हुआ है। इसी दृष्टि से यह द्वितीय पुस्तक ‘तन्त्र-शक्ति’ आपके हाथों में आ रही है। विश्वास है, जिज्ञासु पाठकों के लिए यह अवश्य ही उपयोगी सिद्ध होगी। नई पुस्तक ‘यन्त्र-शक्ति’ दो भागों में भी तैयार है।
थोड़े ही समय में यह पुस्तक चतुर्थ संस्करण को प्राप्त रही है, यह एक हर्ष का विषय है।
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