अपने बाल्यपन के प्रारम्भिक वर्षों में ही इन्होने अपना निर्मल हृदय आध्यात्मिक और गूढ़ विषयों को समर्पित कर दिया था और फिर मंत्रमुग्ध होकर इन्होने वैदिक ज्योतिष और विशेषकर उत्कृष्ट पद्धति के द्वार को खटकाने से पहले अपना मार्ग हस्तरेखा विज्ञान, अंकशास्त्र, क्रिस्टल गेजिंग, टैरो कार्ड की पढ़ाई में ढूंढा। मुख्यतः अभी तक स्वयं के द्वारा शिक्षित इन्होने विभिन्न सिद्धान्तों को जांच-परख कर और अपनी डायरी में उनके रिकार्ड को संकलित करके अपना अभ्यास किया है। ये डायरियां बाद में इनकी अभिन्न साथी बन गई जिनसे इन्होंने अपने बहुमूल्य रत्नों के रूप में यहां बिखेर दिया है जिन्हें इन्होने वर्षों के अपने अथक प्रयास से संचित किया था। इनके जीवन को चमकाने और लेखक के प्रयासों को आशीर्वाद देने इनके जीवन में गुरू के रूप में श्री बी.एन. सांगले बाद में आए।
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