श्रीकृष्णचन्द, आनंदकन्द, नन्दनन्दन भक्तनहितकारी, असुरसंहारी, इन्द्रमदहारी, श्रीगोवर्द्धनधारी मुरारी के चरणकमल का ध्यान करके पहले आर्यावर्तनिवासी परम कृपालु विद्वानों के पादारविन्दों को नमस्कार हाथ जोड़कर करता हूं। अब देखना चाहिये कि, परब्रह्म परमेश्वर ने इस असार संसार में कैसी कैसी अद्भुत विद्यायें जगद्धितार्थ बनाई हैं कि, जिनके जानने से इन पंचतत्वों कर के रचित मनुष्य का शरीर ब्रह्मदेवकृत चौरासी लाख में अग्रणीय गिना जाता है और बहुधा इन विद्याओं के ज्ञाता मनुष्य में भी देवताओं के समान पूजनीय हो जाते हैं और राजा महाराजा उनका अधिक सन्मान किया करते हैं।
इस समय अन्य विद्याओं के वर्णन करने का कुछ प्रयोजन नहीं है। केवल संसार के हित करनेवाले संपूर्ण धर्मों की मूल ज्योतिष विद्या के विषय में निवेदन किया जाता है। जिस होराशास्त्र के जानने से त्रिकालदर्शी हर एक प्राणीमात्र का शुभाशुभ फल तीनों जन्म का बतलाया करते हैं और इस विद्या के नियमों पर चलने वाले सत्पुरुषों को कोई भी दुःख नहीं होता है









 
     
     
     
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