Shrap Mukti ke Durlabh Upaya कोई भी व्यक्ति अपने जीवन से भाग सकता है लेकिन अपने कपों से नही भाग सकता । व्यक्ति के द्वारा जिये गये कर्मों का पाल उसे अवश्य ही भोगना पडता है । व्यक्ति जब अच्छे कर्म करता है तो बदले से सुखों का भीग कस्ता है और जब दुष्कर्म करत्ता है, किसी को दुख पहुँचाता है, अपमान अथवा तिरस्कार करके किसी की आत्मा को चोट पहुँचाता है अथवा जिसी को आर्थिक रूप से हानि ३’ देता है तो उसे इन कर्मों का फल भोगना ही पडता ही है, उसे भी दुख, पीड़। एवं कष्ट ‘भोगने पड सकते ‘ है । यह दुख अथवा कष्ट जिसी न किसी रूप से अवश्य आते है, यही कर्म उसके लिये आप का रूप बन जाते है । व्यक्ति जब जन्म लेता है तो अपने पूर्व जन्म के कर्मफल कीं पोटली को अपने साथ ही लेकर आता हैं । जन्म लेने के कुछ समय पश्चात ही यह पोटली खुलने लगती है और उसमें अपने पिछले उसी से उसने जैसे- जैसे कर्म जिये है, वैसे-वैसे कर्मफल निकल कर उसके उसने आने लगते है जिनको उसे भोगना ही पडता है । दुष्कर्मों के फ़ल श्राप के रूप में भोगने पडते है ।
यह ऐसे आप होते है जिनसे कोई भी व्यक्ति बच नहीं सकता । हमारे जीवन में जो कष्ट अथवा पीडा आती है, वह इन्हीं आयों के रूप में ही होती है । जो व्यक्ति पुनर्जन्म अथवा श्राप आदि के बारे में विस्वास नहीं करते है, उन्हें भी इन आयों का फल भोगना ही पडता है 1 श्राप बुझि। के दुर्लभ उषाय पुस्तक उन आयो पर आधारित है जिन्हें व्यक्ति विभिन्न रूपों में जीवन भर भोगता है । जिन कार्यों से यह आप उत्पन्न होते हैं, उनके बारे में इस पुस्तक से विस्तार बताया गया हैं । इनके बारे में जानकर संभव है कि व्यक्ति ऐसे कर्म नहीं कों जिनसे उन्हें आयों की पीडा भोगनी पडे । इन आयो के प्रभाव को निरस्त करने के लिये अनेक चमत्कारिक एवं उपयोगी उपायों के बारे में इस पुस्तक में बताया गया है ।
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