Secrets of Planetary Vision
जब हम आकाश में देखते हैं तो एक ऐसा महान विस्तार दिखाई देता है-नीली गहनाता का, जिसका न कोई अन्त ही मालूम होता है और न आदि ही। रात्रि की करोड़ों-अरबों तारों और चन्द्रमा की शोभा से वह भर जाता है, आकाशगंगा की दूधिया मार्ग आकाश को सजा देता है। दिन में दिवाकर का प्रखर आलोक उन्हें छिपा देता है; वह एकमात्र अपनी ही ज्योति से संसार और आकाश को प्रकाशित करता हुआ प्राची से उदय होकर पश्चिम तक के एक लम्बे मार्ग को तय करके अस्त हो जाता है।
इस विस्तृत निस्सीम आकाश में चमकने वाले तारों की तरह ही हमारी पृथ्वी भी एक तारा है। किसी अन्य तारे पर पहुँचकर यदि इस पृथ्वी को देखें तो यह भी वैसी ही दिखाई देती, जैसे अन्य तारे । कोटि-कोटि तारों की भाँति ही इस विशाल गगन में सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि नामक ग्रह भी तारे ही हैं। यह तारे आकर्षण शक्ति में बँधे हुए सूर्य की परिक्रमा करते हैं, इसी कारण ग्रह कहलाते हैं।
हमारी पृथ्वी जीवन है। इस ब्रह्माण्ड में अन्यत्र किसी आकाशीय पिण्ड में हमारी पृथ्वी की तरह ही जीवन है या नहीं, अभी तक पता नहीं चल पाया है, भारतीय पौराणिक मान्यता है कि हमारी पृथ्वी की तरह ही अनेक लोक हैं, जिनमें देवता आदि उच्च स्तरीय प्राणी निवास करते हैं।
सूर्य, चन्द्र, मंगल आदि ग्रह, सप्तर्षि मण्डल ध्रुव तारा तथा नक्षत्र समूह आदि सभी स्वर्गादि लोक हैं, जिनमें उन्हीं लोकों के जल, भूमि, वायु, अग्नि और आकाश तत्वों से निर्मित शरीरों के प्राणी निवास करते हैं।
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