Saundrya Lahari
तन्त्र-साहित्य की परम्परा में सुप्रसिद्ध तथा सब प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करने का सर्वोत्तम साधन ‘सौन्दर्य-लहरी’ में विराजमान है। इस अद्भुत ग्रंथ मै साधना-पथ पर आगे बढ़ते हुए आपके सुपरिचित लेखक, मन्त्र-तन्त्र शास्त्रों के ग्रन्थकर्ता, डॉ. रुद्रदेव त्रिपाठी साहित्य-सांख्य- योग-दर्शनाचार्य, काव्य-पुराणतीर्थ, एम.ए. (संस्कृत तथा हिन्दी) पी-एच डी०, लिट्,, ‘तन्त्रागम-भास्कर’ ने अपनी गुरु-परम्परा एवं विभिन्न टीकाओं के समीक्षण से ‘सौन्दर्य लहरी’ के हृदय को प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया है। प्रत्येक पद्द का हिन्दी भाषा मे सरलार्थ , मन्त्र-दर्शन, यन्त्र की आकृति एवं साधना विधि, योग दर्शन के संकेत, साहित्यिक विश्लेषण तथा अन्य विशिष्ट विषयों को बहुत ही सरल एवं रोचक भाषा में व्यक्त किया है। अति प्राचीनकाल से चली आ रही शाक्ततन्त्रसाधना के बहुमूल्य तथ्यों को इसमें पिरोया गया है। आज तक भारत और विदेशों में इसके रहस्यों को प्रकाश में लाने के लिए प्रौढ़ संस्कृत भाषा में चालीस से अधिक टीकाएँ लिखी गई हैं।
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