संतति-सुख की संवृद्धि एवं समृद्धि से संदर्भित सन्तान सुख : सर्वांग चिन्तन की संरचना में आचार्य गोविन्द शास्त्री ने सक्रिय सहयोग प्रदान करके मानव जगत के उत्थान और उद्भव के सारस्वत संकल्प को साकार स्वरूप में रूपान्तरित किया। हम जीवनपर्यन्त आचार्य गोविन्द शास्त्री जी के ऋणी रहेंगे।
मंत्र शास्त्र एवं तंत्र विद्या के संज्ञान-सम्राट् आचार्य गोविन्द शास्त्री जी के समतुल्य विद्वान हमारे देश में संभवतः एक-दो ही हैं। अपनी कृतियों के माध्यम से ही नहीं, बल्कि समय-समय पर विभिन्न स्थलों पर उन्होंने शिविर शिक्षा-दीक्षा से सम्बद्ध संस्कृति का बहुप्रतीक्षित पवित्र पथप्रारूपित एवं प्रतिष्ठित किया, जिसने सहस्रों अनुयायियों को सतर्क, सघन साधना की जीवन-ज्योति सदैव प्रदान की तथा उनके समस्त जीवन को महकते मधुवन में परिवर्तित कर दिया।
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